Monday, November 23, 2009

2.2 हिन्दी के "थे/ थीं" के लिए मगही के क्रिया-रूप

2. 'ह' (to be) धातु के भूतकाल के रूप
2.2 हिन्दी के "थे/ थीं" के लिए मगही के क्रिया-रूप

2.2.1
हिन्दी में "थे/ थीं" का प्रयोग अन्य पुरुष बहुवचन (third person plural number), मध्यम पुरुष बहुवचन (second person plural number) एवं उत्तम पुरुष बहुवचन (first person plural number) के साथ किया जाता है । मगही में "तू", "तूँ" या "तोहन्हीं" अनादर सूचक भी हो सकता है या आदरार्थ भी । अतः क्रिया के रूप से ही स्पष्ट होता है कि इसका प्रयोग आदरार्थ है या अनादरार्थ । मगही में अनादरार्थ प्रयुक्त मध्यम पुरुष बहुवचन या अन्य पुरुष बहुवचन कर्ता के साथ भी क्रिया का रूप एकवचन में ही होता है, अर्थात् हिन्दी के "था/ थी" के ही संगत (corresponding) मगही रूप का प्रयोग होता है, "थे/ थीं" का नहीं ।

2.2.2 'हिन्दी के "हैं" के लिए मगही के क्रिया-रूप' के अन्तर्गत जिन-जिन प्रसंगों में मगही के भिन्न-भिन्न जो भी रूप प्रयुक्त होते हैं, उन्हीं प्रसंगों में "थे/ थीं" के संगत मगही के क्रिया रूप प्रयुक्त होते हैं ।

2.2.3 वर्तमान काल में ककार सहित मगही के क्रिया रूपों में '' को 'ल' में बदल देने से संगत भूतकाल के रूप प्राप्त हो जाते हैं । ककार रहित रूप 'ह' के स्थान पर 'हल' रूप होता है ।

हिन्दी के "हैं" के लिए मगही के क्रिया-रूप हैं –
(हम) हैं – (हम, हमन्हीं/ हम सब) हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ
(आप) हैं – (अपने) हथिन

[वे, वे लोग (आदरार्थी)] हैं – (ऊ, ऊ सब/ ऊ लोग/ ओकन्हीं) हका; हथन, हथिन, हथुन; हखन, हखिन, हखुन; -, हथी, हथू ; -, हखी, हखू

हिन्दी के "थे/ थीं" के लिए मगही के क्रिया-रूप हैं –
(1) अन्य पुरुष बहुवचन में -
[वे, वे लोग (आदरार्थी)] थे/ थीं – (ऊ, ऊ सब/ ऊ लोग/ ओकन्हीं) हला; हलथन, हलथिन, हलथुन; हलखन, हलखिन, हलखुन; -, हलथी, हलथू ; -, हलखी, हलखू

(2) मध्यम पुरुष बहुवचन में -
(तुम/ तुम सब) थे/ थीं - (तूँ /तूँ सब/ तोहन्हीं / तोहन्हीं सब (आदरार्थी)] हलऽ , हलहो, हलहू
(आप) थे/ थीं – (अपने) हलथिन

(3) उत्तम पुरुष बहुवचन में -
(हम) थे/ थीं – (हम, हमन्हीं/ हम सब) हलिअइ, हलियो, हलिअउ

नोटः "" धातु के लिए वर्तमान काल की तरह भूतकाल में ककार सहित रूप नहीं होता ।
2.2.4 “हल” का प्रयोग - इसके लिए देखें 'हिन्दी के "था/थी" के लिए मगही के क्रिया-रूप' ।

2.2.5 “हला” का प्रयोग - अन्य पुरुष में एक या अनेक व्यक्ति को मध्यम दर्जे का आदर-भाव व्यक्त करना हो तो "हला" का प्रयोग होता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में,
ऊ कीऽ शेर हला जे हमरा खा जइता हल ? - वे क्या शेर थे जो हमें खा जाते ?
ई समूचे शहर में हीरा के सबसे बड़गर व्यापारी हला । - ये समूचे शहर में हीरा के सबसे बड़े व्यापारी थे ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में,
ऊ कीऽ करऽ हला ? - वे क्या करते थे ।
ऊ जेतना बतइलका ओरा से कहीं अधिक उनका ई कतल के बारे मालूम हलइ । जे हमरा चाही हल ऊ छिपाके रखले हला । - उन्होंने जितना बताया उससे कहीं अधिक उन्हें इस कत्ल के बारे मालूम था । जो हमें चाहिए था वो छिपाके रखे हुए थे ।

2.2.6 हलथन, हलथिन, हलथुन के प्रयोग - इसका प्रयोग उच्च दर्जे का आदर-भाव व्यक्त करने के लिए उन्हीं प्रसंगों में किया जाता है जिनमें हथन, हथिन, हथुन का प्रयोग होता है । हलखन, हलखिन, हलखुन का प्रयोग हलथन, हलथिन, हलथुन के स्थान पर ही किया जाता है । नकार रहित क्रिया रूप हलथी, हलथू और हलखी, हलखू के प्रयोग हलथिन, हलथुन के स्थान पर ही किया जाता है ।

पूर्व रूपों के समान ही इसका भी मुख्य या सहायक क्रिया के रूप में प्रयोग होता है ।

सामान्यतः 'हलथन' का प्रयोग भूतकाल में ऐसे अन्यपुरुष संज्ञा के लिए किया जाता है जिसका वक्ता या श्रोता से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होत, जबकि 'हलथिन' और 'हलथुन' का वक्ता या श्रोता के साथ प्रासंगिक रूप से सम्बन्ध या किसी प्रकार का नित्य सम्बन्ध (पति, पत्नी, पुत्र आदि) होता है । हलथन, हलथिन, हलथुन का प्रयोग ठीक से समझने के लिए प्रसंग समझना आवश्यक है ।

(1) प्रसंगः एक आदमी एक बच्चे से बात कर रहा है ।
तोरा बाउ मारबो करऽ हलथुन ? - तुझे पिता (जी) मारते भी थे ?
नयँ, हमरा बाउ जी कभीयो नयँ मारऽ हलथन । - नहीं, मुझे पिताजी कभी भी नहीं मारते थे ।

(2) प्रसंगः एक आदमी एक बच्चे से बातचीत करता है ।
- तखनी तोर बाउ घरे हलथुन बुआ ? - उस समय तेरे बाबूजी घर पर ही थे, बबुआ ?
- नयँ, नयँ हलथुन । - नहीं, नहीं थे ।
- कखने अयलथुन हल ? - कब आए थे ?
- सँझिया के अयलथुन हल । - शाम को आए थे ।

ध्यातव्यः इस प्रसंग में प्रश्न और उत्तर दोनों में केवल "-थुन" का प्रयोग होता है। प्रसंग से यह पता चलता है कि प्रश्नकर्ता का बच्चे के पिता से किसी प्रकार का व्यक्तिगत काम था । परन्तु यदि प्रश्न केवल सामान्य जानकारी हेतु किया गया हो तो उत्तर में '-थुन' के स्थान पर '-थिन' का ही प्रयोग होगा । जैसे -

तोर बाउ के कीऽ हो गेलो ह ? - तेरे पिताजी को क्या हो गया है ?
मालूम नयँ । कल सँझिया के घरवा अयलथिन त ठीके-ठाक हलथिन । लेकिन कुछ देर के बाद उनकर तबीयत बिगड़े लगलइ । - मालूम नहीं । कल शाम को घर आए तो ठीक-ठाक ही थे । लेकिन कुछ देर के बाद उनकी तबीयत बिगड़ने लगी ।

(3) प्रसंगः एक आदमी एक प्रोफेसर साहब के बारे में उनकी श्रीमती जी से बातचीत करता है ।
- प्रो॰ साहब घरे हलथिन ? - प्रो॰ साहब घर पर ही थे ?
- नयँ, नयँ हलथुन । - नहीं, नहीं थे ।
- कखने अयलथिन हल ? - कब आए थे ?
- बिहान होला पर अयलथुन हल । - सुबह होने पर आए थे ।

ध्यातव्यः इस प्रसंग में प्रश्न में केवल "-थिन" और उत्तर में केवल "-थुन" का प्रयोग होता है । प्रसंग से यह पता चलता है कि प्रश्नकर्ता का प्रोफेसर साहब से किसी प्रकार का व्यक्तिगत काम था । परन्तु यदि प्रश्न केवल सामान्य जानकारी हेतु या किसी विशिष्ट कार्य (जैसे पंचायत) में पूछताछ हेतु किया गया हो तो उत्तर में '-थुन' के स्थान पर '-थिन' का ही प्रयोग होगा ।

2.2.7 हलऽ , हलहो, हलहू का प्रयोग – मध्यम पुरुष बहुवचन में -
(तुम/ तुम सब) थे/ थीं - (तूँ /तूँ सब/ तोहन्हीं / तोहन्हीं सब (आदरार्थी)] हलऽ , हलहो, हलहू
हलऽ , हलहो, हलहू में आदर का भाव बढ़ते क्रम में है । साधारणतः हलऽ का प्रयोग कम उम्र के लोगों के लिए, हलहो रिश्तेदार के बाहर के समान उम्र वालों के लिए एवं रिश्तेदार के उम्र में अधिक व्यक्ति के लिए और हलहू का प्रयोग रिश्तेदार के बाहर के बुजुर्गों के लिए किया जाता है । बच्चों के साथ प्यार प्रदर्शित करने के लिए किसी भी रूप का प्रयोग किया जा सकता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में, जैसे -

गाँव में तूहीं अदमी हलऽ , जेकरा पर हम आँख मून के बिसवास कर सकऽ हलूँ आउ बिना कोय डर-भय के बात कर सकऽ हलूँ - गाँव में तुम ही (एक भले) व्यक्ति/ इंसान थे, जिस पर मैं आँख मूँद कर विश्वास कर सकता था और बिना किसी डर-भय के बात कर सकता था । (यहाँ, गाँव में कई गुटों में बँटे लोगों में से एक गुट का हैसियत में बड़ा व्यक्ति एकान्त में लगभग हमउम्र अपेक्षाकृत हैसियत में छोटे एक ऐसे व्यक्ति से बात कर रहा है जो दवाब और धमकी के बाबजूद किसी भी गुट में शामिल नहीं हुआ ।)

तूँ जब तक हियाँ हलहो तब तक हमन्हीं लगि कोय चिन्ता के बात नयँ हलइ - आप जब तक यहाँ थे तब तक हमारे लिए कोई चिन्ता की बात नहीं थी ।

तूँ जब तक हियाँ हलहू तब तक हमन्हीं लगि कोय चिन्ता के बात नयँ हलइ - आप जब तक यहाँ थे तब तक हमारे लिए कोई चिन्ता की बात नहीं थी ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे -
जब तूँ हुआँ हलऽ , त कइसे रहऽ हलऽ ? - जब तुम वहाँ थे तो कैसे रहते थे ? (इस प्रसंग में वक्ता अपने से कम उम्र के लड़के को बोल रहा है ।)

काहाँ जा हलहू ? - (आप) कहाँ जाते थे / जाती थीं ?

बाउ (जी), काहाँ जा हलहो ? - पिता जी, (आप) कहाँ जाते थे ?
बाबा, काहाँ जा हलहो ? - दादा जी, (आप) कहाँ जाते थे ?

नोट: मगही में "बाबाजी" का प्रयोग (अकसर कम पढ़े-लिखे या बिलकुल अनपढ़) ब्राह्मण के लिए किया जाता है । अतः साधारणतः बच्चे अपने दादा को कभी "बाबाजी" कहकर सम्बोधित नहीं करते । परन्तु, अपने पिता को सम्बोधित करने के लिए "बाउ" के साथ-साथ अधिक आदर के लिए "जी" भी साथ में जोड़ देते हैं ।


2.2.8 मध्यम पुरुष में (आप) "थे/ थीं" अर्थ में हमेशा (अपने) "हलथिन" का प्रयोग होता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में,

अपने कउन पद पर हलथिन ? - आप किस पद पर थे/ थीं ?

(2) सहायक क्रिया के रूप में,

अपने काहाँ रहऽ हलथिन ? - आप कहाँ रहते थे / रहती थीं ?
अपने कीऽ करऽ हलथिन ? - आप क्या करते थे / करती थीं ?

2.2.9 हलिअइ, हलियो, हलिअउ का प्रयोग - इसकी चर्चा 'हिन्दी के "था/ थी" के लिए मगही के क्रिया-रूप' के अन्तर्गत की जा चुकी है ।