Wednesday, September 23, 2009

1.2 हिन्दी के "हूँ" के लिए मगही के क्रिया रूप

1.2 हिन्दी के "हूँ" के लिए मगही के क्रिया रूप

मगही में "मैं" शब्द नहीं । इसके लिए "हम" का ही प्रयोग होता है ।

मगही में “(मैं) हूँ " के लिए कई रूप होते हैं जो इस प्रकार हैं –

(हम) ही/ हूँ/ हकूँ, हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ

1.2.1 जैसा कि अनुच्छेद 1.1.2 में लिखा जा चुका है, सामान्य कथन में (as a general statement) ककार रहित रूप का प्रयोग होता है, परन्तु जहाँ क्रिया पर थोड़ा जोर (stress) देना अपेक्षित हो वहाँ ककार सहित रूप का प्रयोग किया जाता है । यही बात ही/ हूँ/ हकूँ, हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ में भी लागू होती है ।

1.2.2 ही / हूँ / हकूँ के प्रयोगः

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में

इस रूप में साधारणतः "हकूँ" का प्रयोग होता है । "हूँ" का प्रयोग सुनाई नहीं देता, जबकि "ही" का प्रयोग कम होता है ।

तू चोर हँ । - तू चोर है ।
नयँ, हम चोर नयँ हकूँ । - नहीं, मैं चोर नहीं हूँ ।
नयँ, हम चोर नयँ ही । - नहीं, मैं चोर नहीं हूँ ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में,

ही / हूँ / हकूँ में से सभी का प्रयोग होता है ।

हम चोरी-तोरी के काम नयँ करऽ ही । - मैं चोरी-वोरी का काम नहीं करता (हूँ) ।
हम चोरी-तोरी के काम नयँ करऽ हूँ । - मैं चोरी-वोरी का काम नहीं करता (हूँ) ।
हम चोरी-तोरी के काम नयँ करऽ हकूँ । - मैं चोरी-वोरी का काम नहीं करता (हूँ) ।

तीनों वाक्यों में अर्थ में थोड़ा अन्तर है और वह है - ही / हूँ / हकूँ में क्रिया पर जोर (stress) बढ़ते क्रम में है ।

1.2.3 हिअइ/ हकिअइ के प्रयोगः

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में, जैसे -

हम तो अभी बुतरू हिअइ / हकिअइ - मैं तो अभी बच्चा हूँ ।
हम कौलेज के छातर हिअइ / हकिअइ - मैं कॉलेज का छात्र हूँ ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे –

हम पढ़ऽ हिअइ/ हकिअइ - मैं पढ़ता/ पढ़ती हूँ ।
हम कौलेज जा हिअइ/ हकिअइ - मैं कॉलेज जाता/ जाती हूँ ।

हम दिन भर काम करते रहऽ हिअइ/ हकिअइ - मैं दिन भर काम करते रहता/ रहती हूँ ।

नोटः "हम जा ही / हूँ / हकूँ", "हम करऽ ही / हूँ / हकूँ" और "हम जा हिअइ / हकिअइ", "हम करऽ हिअइ / हकिअइ" - इन दो प्रकार के वाक्यों का हिन्दी अनुवाद समान है - "मैं जाता / जाती हूँ", "मैं करता / करती हूँ" । परन्तु मगही में इन दोनों वाक्यों के अर्थ में अन्तर है । मगही में अर्थों के सूक्ष्म अन्तर को समझने के लिए निम्नलिखित वाक्य पर गौर करें ।

हम जा ही / हूँ / हकूँ (, तूहूँ चलऽ हँ ?) - मैं जाता हूँ (, तू भी चलेगा ?)

हम जा हिअइ / हकिअइ (, अनुमति देथिन) - मैं जाता हूँ (, अनुमति दीजिए) ।

हम ई सब काम नयँ करऽ ही / हूँ / हकूँ - मैं यह सब काम नहीं करता ।
इस वाक्य से यह अर्थ निकलता है कि यह सब काम खराब या घृणित है ।

हम ई सब काम नयँ करऽ हिअइ / हकिअइ - मैं यह सब काम नहीं करता ।
इस वाक्य से यह अर्थ निकलता है कि चूँकि यह सब काम मैं नहीं करता, अतः यह सब काम आप किसी और से करवा ले सकते हैं । इस प्रसंग में काम घृणित या खराब है, ऐसा अर्थ बिलकुल नहीं निकलता । या यह वाक्य साधारण तौर पर एक नकारात्मक वाक्य (negative sentence) है ।

एक दूसरे वाक्य पर गौर करें ।

हम एरा / एकरा बारे कुछ जानबे नयँ करऽ हिअइ / हकिअइ तो ओरा / ओकरा बतइअइ कीऽ ? - मैं इसके बारे में कुछ जानता ही नहीं तो उसे बताऊँ क्या ?
इसका अर्थ यह निकलता है कि वक्ता किसी श्रोता से स्पष्ट रूप से बात कर ऐसी सूचना दे रहा है । वक्ता के इस कथन में गुस्सा झलकता है कि वह व्यर्थ ही कोई बात पूछ रहा है जो यह जानता ही नहीं ।

हम एरा बारे कुछ जानबे नयँ करऽ ही / हूँ / हकूँ तो ओरा बतामूँ कीऽ ? - मैं इसके बारे में कुछ जानता ही नहीं तो उसे बताऊँ क्या ?
इसका अर्थ यह निकलता है कि वक्ता के पास कोई श्रोता नहीं है, बल्कि वह ऐसा मन में सोच रहा है । या श्रोता तो है जिसे वह ऐसी सूचना दे रहा है, परन्तु उसके कथन में लाचारी झलकती है कि बात नहीं बता पाने के कारण व्यर्थ में उससे कष्ट झेलना पड़ रहा है ।

हिन्दी वाक्य में ऐसे सूक्ष्म अन्तर जान पाना बिना पूरा प्रसंग जाने सम्भव नहीं है ।

1.2.4 हियो/ हकियो के प्रयोगः इसका प्रयोग तब किया जाता है जब वक्ता जिसे सम्बोधित कर बात कर रहा होता है वह व्यक्ति वक्ता की अपेक्षा हैसियत या उम्र में अधिक होता है । अतः यह आदरार्थ प्रयोग है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में, जैसे -

हम एज्जे हियो/ हकियो, तोरा घबराय के कोय बात नयँ हको - मैं यहीं हूँ, आपको घबराने की कोई बात नहीं है ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे -

हम अब चलऽ हियो/ हकियो, बिहान फेर अइबो - अब मैं चलता हूँ, कल फिर आऊँगा ।

1.2.5 हिअउ/ हकिअउ के प्रयोगः इसका प्रयोग तब किया जाता है जब वक्ता जिसे सम्बोधित कर बात कर रहा होता है वह व्यक्ति वक्ता की अपेक्षा हैसियत या उम्र में कम होता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में, जैसे -

हम एज्जे हिअउ/ हकिअउ, तोरा घबराय के कोय बात नयँ हकउ - मैं यहीं हूँ, तुझे घबराने की कोई बात नहीं है ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे -

हम अब चलऽ हिअउ/ हकिअउ, बिहान फेर अइबउ - अब मैं चलता हूँ, कल फिर आऊँगा ।