Monday, September 28, 2009

1.3 हिन्दी के "हैं" के लिए मगही के क्रिया रूप

1.3 हिन्दी के "हैं" के लिए मगही के क्रिया रूप
हिन्दी में वर्तमान काल में "हैं" का प्रयोग उत्तम पुरुष बहुवचन, अन्य पुरुष बहुवचन और मध्यम पुरुष के "आप" (वस्तुतः इसके लिए क्रिया का प्रयोग अन्य पुरुष के रूप में किया जाता है) के साथ किया जाता है । मगही में "हैं" के लिए कई रूप होते हैं जो इस प्रकार हैं –

(हम) हैं – (हम, हमन्हीं/ हम सब) हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ

(आप) हैं – (अपने) हथिन

[वे, वे लोग (आदरार्थी)] हैं – (ऊ, ऊ सब/ ऊ लोग/ ओकन्हीं) हका; हथन, हथिन, हथुन; हखन, हखिन, हखुन; -, हथी, हथू ; -, हखी, हखू

कभी-कभी हथन, हथिन, हथुन के स्थान पर हखन, हखिन, हखुन का प्रयोग सुनाई देता है । कभी-कभी हथिन, हथुन के स्थान पर हथी, हथू या हखी, हखू भी सुनाई देता है ।

"वे" अगर अनादरार्थ प्रयुक्त हो तो हिन्दी में बहुवचन होते हुए भी बिहारशरीफ की मगही में इसके लिए क्रिया का रूप एकवचन में ही होता है । देखें पूर्व लेख - हिन्दी के "है" के लिए मगही क्रिया रूप ।

1.3.1 जैसा कि अनुच्छेद 1.1.2 में लिखा जा चुका है, सामान्य कथन में (as a general statement) ककार रहित रूप का प्रयोग होता है, परन्तु जहाँ क्रिया पर थोड़ा जोर (stress) देना अपेक्षित हो वहाँ ककार सहित रूप का प्रयोग किया जाता है । यही बात हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ में भी लागू होती है ।

1.3.2 हिअइ/ हकिअइ, हियो/ हकियो, हिअउ/ हकिअउ के प्रयोगः इसके लिए देखें - 1.2 हिन्दी के "हूँ" के लिए मगही के क्रिया रूप ।

1.3.3 मध्यम पुरुष में (आप) "हैं" अर्थ में हमेशा (अपने) "हथिन" का प्रयोग होता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में,

अपने केऽ हथिन ? - आप कौन हैं ?

(2) सहायक क्रिया के रूप में,

अपने काहाँ रहऽ हथिन ? - आप कहाँ रहते हैं ।
अपने कीऽ करऽ हथिन ? - आप क्या करते हैं ?

1.3.4 अन्य पुरुष में एक या अनेक व्यक्ति को मध्यम दर्जे का आदर-भाव व्यक्त करना हो तो "हका" का प्रयोग होता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में,

ऊ कीऽ शेर हका जे हमरा खा जइता ? - वे क्या शेर हैं जो हमें खा जायेंगे ?
ई समूचे शहर में हीरा के सबसे बड़गर व्यापारी हका - ये समूचे शहर में हीरा के सबसे बड़े व्यापारी हैं ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में,

ऊ कीऽ करऽ हका ? - वे क्या करते हैं ।
ऊ जेतना बतइलका ओरा से कहीं अधिक उनका ई कतल के बारे मालूम हइ । जे हमरा चाही ऊ छिपाके रखले हका - उन्होंने जितना बताया उससे कहीं अधिक उन्हें इस कत्ल के बारे मालूम है । जो हमें चाहिए वो छिपाके रखे हुए हैं ।

1.3.5 हथन, हथिन, हथुन के प्रयोग: इसका प्रयोग उच्च दर्जे का आदर-भाव व्यक्त करने के लिए किया जाता है । पूर्व रूपों के समान ही इसका भी मुख्य या सहायक क्रिया के रूप में प्रयोग होता है ।

हथन, हथिन, हथुन का प्रयोग ठीक से समझने के लिए प्रसंग समझना आवश्यक है ।

(१) प्रसंगः एक आदमी एक घर जाकर दरवाजे पर दस्तक देता है । एक बच्चा दरवाजा खोलता है । वह आदमी बच्चे से बातचीत करता है ।
- बाऊ घरे हथुन बुआ ? - (तेरे) बाबूजी घर पर ही हैं, बबुआ ?
- नयँ, नयँ हथुन - नहीं, नहीं हैं ।
- कखने अयथुन ? - कब आयेंगे ?
- साँझ तलक अयथुन । - साँझ तक आयेंगे ।

ध्यातव्यः इस प्रसंग में प्रश्न और उत्तर दोनों में केवल "-थुन" का प्रयोग होता है।

(२) प्रसंगः एक आदमी एक प्रोफेसर साहब के घर के दरवाजे पर जाकर दस्तक देता है । एक महिला दरवाजा खोलती है । वह आदमी महिला से बातचीत करता है ।
- प्रो॰ साहब घरे हथिन ? - प्रो॰ साहब घर पर ही हैं ?
- नयँ, नयँ हथुन - नहीं, नहीं हैं ।
- कखने अयथिन ? - कब आयेंगे ?
- बिहान अयथुन । - कल आयेंगे ।

ध्यातव्यः इस प्रसंग में प्रश्न में केवल "-थिन" और उत्तर में केवल "-थुन" का प्रयोग होता है।

अब हम डॉ॰ राम प्रसाद सिंह रचित मगही उपन्यास "नरक सरग धरती" से कुछ उद्धरण बिहारशरीफ की मगही में प्रस्तुत करते हैं ।

(3) प्रसंगः खदेरन नामक अधेड़ उम्र का आदमी सुक्खू के मिल में काम करता है । वहाँ दुर्घटना घटने के कारण घायल होकर बेहोश हो जाता है । खदेरन को टाँगकर लोग डॉक्टर के पास लाते हैं । वह खदेरन का इलाज करता है । बेला नामक नर्स भी उसकी सेवा में खड़ी है । खदेरन की नींद खुलती है तो वह चिल्ला उठता है (पृ॰ १२७) -
- अरे सुक्खू बेटा, अब नयँ बचवउ । चाची के ठीक से रखिहँ ।
- चचा, तू अभी न मरबऽ । तनी गोड़ में चोट लग गेलो ह, बिहान तलक ठीक हो जइतो ।
- न बेटा, हम्मर कपार उड़ल जा रहलो ('रहलउ' के संक्षिप्त रूप) ह । आउ ई बगल में उज्जर लुग्गा पेन्हले के खड़ा हकइ ? एहे हम्मर गोड़ तोड़ देलक ह । एकरा हिआँ से जल्दी भगाव ।
- ई अस्पताल के नर्स हथिन चचा । ई तो तोर सेवा में लगल हथुन

ध्यातव्यः इस प्रसंग में परिचय देते समय केवल "-थिन" का प्रयोग होता है । परिचय हो चुकने के बाद नर्स और रोगी का सीधा सम्बन्ध निर्दिष्ट होने के कारण केवल "-थुन" का प्रयोग होता है।

(4) प्रसंगः गाँव में दलित लोगों का नेता रग्घू दलितों को खेतिहर महतो लोगों के विरोध में भड़काकर अल्हैत दल का निर्माण करता है और नक्सलाइट लोगों को आमन्त्रित कर शाम को आल्हा के जरिये नक्सलाइट का ट्रेनिंग दिलवाता है । उनका काम शाम को मनोरंजन करना और रात को महतो के खेत की फसल चुराना होता है । जमुना नामक युवक भी अल्हैत दल का एक सदस्य है, हालाँकि उसे यह चोरी-तोरी का काम पसन्द नहीं है । इधर ईसरी महतो के नेतृत्व में एक कमासुत दल का भी निर्माण होता है जिसमें गरीब तबके के लोग भी होते हैं । इस दल का काम परिश्रम से कमाकर खाना होता है और गाँव के जरूरतमंद लोगों की आवश्यक मदद करनी होती है ।

गाँव के जमींदार वर्मा साहब की बेटी सुषमा की शादी महतो के लड़के नगीना से हो जाती है । नगीना कॉलेज तक पढ़ा-लिखा नवयुवक है । परन्तु शहर की नौकरी छोड़-छाड़कर वह खुद खेती करना चालू करता है और सुषमा भी उसके साथ इस कार्य में हाथ बँटाती है ।

नगीना के बारे में जमुना के सामने रग्घू टिप्पणी करता है (पृ॰ १५६-१५७) -
"पढ़े फारसी बेचे तेल, देखो ये किसमत के खेल ।" कहके रग्घू जमुना दने ताकलक आउ ई भरल बरसात में भी जुत्ता मचमचइते पक्का सड़क धैले घरे जाय लगल । जमुना बोलल - "केतनो हथिन तो मलकाने घराना के न हथिन हो । अइसे काहे बोलऽ हीं ?"
........
"अरे इनसाल ई अपने खेती नयँ करता हल त हमन्हिंयें न उनकर सब खेत जोत लेतिये हल । फोकट में बीस बिगहा खेत हमन्हीं के मिल जात हल ।"
"आउ महतो लोग टुकुर-टुकुर देखते रह जइथुन हल ? उनका पास अपने कमासुत दल हइ जे बीस कीऽ, सो बिगहा खेती कर सकऽ हइ ।"
"अरे, हमर नेकलाइट के फौज जुटते हल त सब कमासुत दल भुला जइता हल ।"
"तहिना तो नेकलाइट के नेता कहलथुन हल कि महतो तोहनी के भाई-बन्धु हो सकऽ हथुन, विरोधी थोड़े हथुन ? दस-बीस बिगहा जोते वला कहऊँ जमीदार होवऽ हइ ?”
“हमनी के गाँव में तो ओहे न जमीदार हथन । केकरा से लड़े जाम ?”
“काहे ? लड़े ल दोसर जमीदार न हथिन ? उकी बगले के गाँव में दू-दू चर-चर सौ बिगहा जोते वलन हथन, जिनकर आधा से जादे खेत परीत रह जा हइ । जो, उनकर खेत जोत-कोड़ आउ दखल कराव तब न जनवउ ?”

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