Saturday, October 24, 2009

1.4 हिन्दी के "हो" के लिए मगही के क्रिया रूप

हिन्दी में वर्तमान काल में "हो" का प्रयोग मध्यम पुरुष के “तुम” (एकवचन) या “तुमलोग” (बहुवचन) के साथ किया जाता है । मगही में "हो" के लिए कई रूप होते हैं जो इस प्रकार हैं –

(तुम/ तुमलोग) हो - (1) अनादरार्थ - (तूँ / तोहन्हीं/ तोहन्हीं सब) हीं/ हकहीं
(2) आदरार्थ - (तूँ / तोहन्हीं/ तोहन्हीं सब) ह/ हकऽ , हू / हकहू , हो / हकहो
(3) आदरार्थ या अनादरार्थ सहायक क्रिया के रूप में - ह/ हँ

यहाँ आदरार्थ का मतलब है - मध्यम स्तर के आदर के लिए प्रयोग, जो साधारणतः परिवार/ रिश्तेदार के उम्र में बड़े पुरुषों (जैसे - पिता, चाचा, दादा, आदि) या उनके समकक्ष के साथ किया जाता है । परिवार/ रिश्तेदार को छोड़ अन्य पुरुष या स्त्री (चाहे उम्र में अधिक हो या कम) के लिए भी साधारणतः आदरार्थ प्रयोग होता है ।

साधारणतः परिवार/ रिश्तेदार की उम्र में बड़ी स्त्रियों (जैसे - माँ, चाची, मौसी, दादी, नानी आदि) के साथ अनादरार्थ क्रिया का ही प्रयोग होता है ।

किसी अनजान बुजुर्ग या हैसियत और इज्जत में बड़े लोगों को उच्च दर्जे का आदर दिया जाता है और "तूँ" के स्थान पर "अपने" (= आप) शब्द का प्रयोग होता है । इसके लिए देखें - हिन्दी में "हैं" के लिए मगही के क्रिया रूप ।

1.4.1 जैसा कि अनुच्छेद 1.1.2 में लिखा जा चुका है, सामान्य कथन में (as a general statement) ककार रहित रूप का प्रयोग होता है, परन्तु जहाँ क्रिया पर थोड़ा जोर (stress) देना अपेक्षित हो वहाँ ककार सहित रूप का प्रयोग किया जाता है ।

1.4.2 हीं/ हकहीं के प्रयोग- अनादरार्थ मध्यम पुरुष में

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में , जैसे -
तूँ तो अभी बुतरू हीं / हकहीं, तोरा अभी ई बात नयँ समझ में अयतउ - तुम तो अभी बच्चे हो, तुम्हें अभी यह बात समझ में नहीं आयेगी ।
(तूँ) काहाँ हीं / हकहीं, जल्दी आहीं न - (तुम) कहाँ हो, जल्दी आओ न ।
तूँ हीं / हकहीं न हियाँ, हम्मर कीऽ जरूरत हइ / हकइ ? - तुम हो न यहाँ, मेरी क्या जरूरत है ?

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे -
तूँ / तोहन्हीं पढ़ऽ हीं/ हकहीं – तुम / तुमलोग पढ़ते/ पढ़ती हो ।
तूँ कीऽ करऽ हीं/ हकहीं ? - तुम क्या करते / करती हो ?
तूँ तो घर के सब्हे काम-काज देखऽ हीं/ हकहीं - तुम तो घर के सब काम-काज देखते / देखती हो ।
तूँ दिन भर कीऽ करते रहऽ हीं/ हकहीं ? - तुम दिन भर क्या करते रहते/ रहती हो ?

1.4.3 ह/ हकऽ , हू / हकहू , हो / हकहो के प्रयोग- आदरार्थ मध्यम पुरुष में
ह/ हकऽ , हो / हकहो, हू / हकहू में आदर का भाव बढ़ते क्रम में है । साधारणतः ह/ हकऽ का प्रयोग कम उम्र के लोगों के लिए, हो / हकहो रिश्तेदार के बाहर के समान उम्र वालों के लिए एवं रिश्तेदार के उम्र में अधिक व्यक्ति के लिए और हू / हकहू का प्रयोग रिश्तेदार के बाहर के बुजुर्गों के लिए किया जाता है । बच्चों के साथ प्यार प्रदर्शित करने के लिए किसी भी रूप का प्रयोग किया जा सकता है ।

(1) मुख्य क्रिया या संयोजक (copula) के रूप में, जैसे -
इस रूप में साधारणतः "हो" का प्रयोग नहीं होता (अन्य प्रयोग के लिए देखें - ‘हिन्दी में "हैं" के लिए मगही के क्रिया रूप’ के अन्तर्गत "हो/ हको" के प्रयोग)।

गाँव में तूहीं अदमी ह / हकऽ, जेकरा पर हम आँख मून के बिसवास कर सकऽ ही आउ बिना कोय डर-भय के बात कर सकऽ ही - गाँव में आप ही (एक भले) व्यक्ति/ इंसान हैं, जिस पर मैं आँख मूँद कर विश्वास कर सकता हूँ और बिना किसी डर-भय के बात कर सकता हूँ । (यहाँ, गाँव में कई गुटों में बँटे लोगों में से एक गुट का हैसियत में बड़ा व्यक्ति एकान्त में लगभग हमउम्र अपेक्षाकृत हैसियत में छोटे एक ऐसे व्यक्ति से बात कर रहा है जो दवाब और धमकी के बाबजूद किसी भी गुट में शामिल नहीं हुआ ।)

तूँ जब तक हियाँ हकहो तब तक हमन्हीं लगि कोय चिन्ता के बात नयँ हइ / हकइ - आप जब तक यहाँ हैं तब तक हमारे लिए कोई चिन्ता की बात नहीं है ।

तूँ जब तक हियाँ हू / हकहू तब तक हमन्हीं लगि कोय चिन्ता के बात नयँ हइ / हकइ - आप जब तक यहाँ हैं तब तक हमारे लिए कोई चिन्ता की बात नहीं है ।

(2) सहायक क्रिया के रूप में, जैसे -
कन्ने जा ह/ हकऽ , आवऽ , बइठऽ न; तोरा से कुछ बात करे के हइ/ हकइ - कहाँ जा रहे हैं, आइये, बैठिये न; आपसे कुछ बात करनी है । (इस प्रसंग में वक्ता अपने से कम उम्र के लड़के को बोल रहा है ।)

काहाँ जा हू / हकहू ? - (आप) कहाँ जा रहे / रही हैं ?

बाउ (जी), काहाँ जा हो/ हकहो ? - पिता जी, (आप) कहाँ जा रहे हैं ?
बाबा, काहाँ जा हो/ हकहो ? - दादा जी, (आप) कहाँ जा रहे हैं ?

नोट: मगही में "बाबाजी" का प्रयोग (अकसर कम पढ़े-लिखे या बिलकुल अनपढ़) ब्राह्मण के लिए किया जाता है । अतः साधारणतः बच्चे अपने दादा को कभी "बाबाजी" कहकर सम्बोधित नहीं करते । परन्तु, अपने पिता को सम्बोधित करने के लिए "बाउ" के साथ-साथ अधिक आदर के लिए "जी" भी साथ में जोड़ देते हैं ।

1.4.4 ह/ हँ के प्रयोग- आदरार्थ या अनादरार्थ मध्यम पुरुष में

(तूँ) कीऽ कर रहलहीं ह/ हँ ? - तुम क्या कर रहे / रही हो ? (देखें – ‘हिन्दी में "है" के लिए मगही के क्रिया रूप’ के अन्तर्गत "" के प्रयोग ।)
(तूँ) काहाँ से आ रहलहीं ह/ हँ ? - तुम कहाँ से आ रहे / रही हो ?

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